हल्द्वानी : उत्तराखंड के हल्दूचौड़ क्षेत्र में महिला पुरोहितों ने विवाह का कर्मकांड विधिवत संपन्न कराया। देवभूमि यह पहला अवसर है जब महिला पुरोहितों ने पहली बार विवाह संपन्न कराया है। गायत्री शक्तिपीठ हल्दूचौड़ में शक्तिपीठ की महिला पुरोहितों ने यह पहल की। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वैवाहिक समारोह की सभी रस्मों को पूरा कराया।
गायत्री शक्तिपीठ में नियमित रूप से विवाह, यज्ञोपवीत एवं मुंडन संस्कार किए जाते हैं, जिन्हें अब तक पुरुष पुरोहित कराते रहे हैं। लेकिन, गत दिवस हुए विवाह में पहली बार महिला पुरोहितों प्रभा भट्ट, गीता कर्नाटक व ललिता भट्ट ने पूर्ण रूप से मंत्रोच्चारण के साथ सभी वैवाहिक रस्में पूरी कराईं। गायत्री शक्तिपीठ में 19 नवंबर को भगवानपुर ब्लॉक, हल्द्वानी निवासी नंदा बल्लभ भट्ट की पुत्री भावना भट्ट का विवाह हल्दूचौड़ दीना निवासी रमेश चंद्र दुम्का के पुत्र राजेश दुम्का के साथ संपन्न हुआ।
विवाह संपन्न होने के बाद संपूर्ण क्षेत्र में उक्त विवाह के पुरोहितों को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। गायत्री शक्तिपीठ के प्रबंधक आचार्य बसंत बल्लभ पांडे का कहना है कि 19 नवंबर को गायत्री शक्तिपीठ में बहनों की टोली ने पहली बार पूरी तरह पंडिताई करते हुए विवाह कार्यक्रम संपन्न कराया। पांडे ने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ में जो यज्ञ हुआ, कहते हैं उसे मनु की पुत्री इला ने संपन्न किया। वेद की हजारों ऋचाओं को रचने वाली ऋषिकाएं हैं ऐसे में आधी जनशक्ति को वेद मंत्रों के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
वहीं, महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वर यति महाराज का कहना है कि महिला पुरोहित द्वारा कराया गया विवाह पूरी तरह शास्त्र सम्मत नहीं हो सकता है, क्योंकि जिस पुरोहित द्वारा विवाह कराया जाता है वह जनेऊ धारक एवं (शिखा)चोटी वाला होना चाहिए, अब तक यह बात कभी नहीं सुनी गई कि कोई विवाह या यज्ञोपवीत संस्कार किसी महिला पुरोहित द्वारा संपन्न कराया गया है।