हल्द्वानी : इन दिनों उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक सुर्खियों में है। एक वरिष्ठ अफसर के तानाशाही रवैये और तुगलकी फरमानों से स्टाफ आजिज आ चुका है। कर्मचारियों का आरोप है कि बैंक को निजी कंपनी की तरह चलाया जा रहा है। आए दिन स्टाफ को नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती है।
प्रबंधन की रोज-रोज की बदसलूकी से बैंक के अफसर और स्टाफ तंग आ चुका है। बैंक की सभी शाखाओं में स्टाफ की भारी कमी है पर नई भर्तियां नहीं की जा रही हैं। इसके विपरीत काम के बोझ में दबे स्टाफ को तरह-तरह से मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। स्टाफ को उनका हक तक नहीं दिया जा रहा है। इस बार बोनस का भुगतान भी छह महीने विलंब से किया गया है।
सातवां वेतनमान भी अभी तक लागू नहीं किया गया है। आरोप है कि प्रबंधन ने जानबूझ कर उसे रोक रखा है। यदि 31 दिसंबर यह वेतनमान लागू नहीं होता है तो यह लैप्स हो जाएगा। फिर स्टाफ को आठवें वेतनमान के लागू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा। बड़े अधिकारी का खौफ इतना है कि कोई उसके खिलाफ शिकायत तक नहीं करता है। साथ ही शिकायत करने पर स्टाफ को धमकाया जाता है।