हल्द्वानी : अब्दुल मलिक पूर्व में भी मर्डर और एनएसए में जेल जा चुका है। गिरफ्तारी के वक़्त तब भी खूब बवाल हुआ था, और कई पुलिस वाले घायल हुए थे।
बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में मलिक के बगीचा में स्थित नमाज स्थल और मदरसे को ध्वस्त करने गई टीम पर भीड़ ने हमला बोल दिया था। पथराव, आगजनी में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी, मिडिया कर्मी घायल हुए। एक दर्जन लोगों की मौत हो गई। हालांकि घटना वाले रोज अब्दुल मलिक मौके पर नहीं थे, लेकिन घटना से कुछ रोज पहले मौके से अतिक्रमण हटाने गई टीम का नेतृत्व कार रहे नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय से अब्दुल मलिक की झड़प हुई थी। प्रशासन इस पूरे बवाल का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक को मान रहा है।
26 साल बाद फिर वही अराजकता दोहराई गई है। सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी के छोटे भाई अब्दुल रुऊफ सिद्दीकी राजनीति में उभर रहे थे। जुझारू और मिलनसार रुऊफ सिद्दीकी ने कम समय में ही अपनी पहचान बना ली थी। वह समाजवादी युवजन सभा के जिलाध्यक्ष थे, लेकिन बढ़ती लोकप्रियता के चलते वह प्रतिद्वंदियों को खटकने लगे थे।
लखनऊ जाते वक्त रुऊफ का मर्डर
19 मार्च 98 को अब्दुल रुऊफ सिद्दीकी अपने साथी चन्द्र मोहन सिंह और त्रिलोक बनौली के साथ कार से लखनऊ जा रहे थे। बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र में बड़े वाहन से कार को टक्कर मार दी गई थी। कार पलटने पर भाड़े के शूटर्स ने रुऊफ पर निशाना साधते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें रुऊफ सिद्दीकी की तो मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि चन्द्रमोहन सिंह और त्रिलोक बनौली भी घायल हुए थे।
रुऊफ सिद्दीकी हत्याकांड की रिपोर्ट भोजीपुरा थाने में दर्ज कराई गई थी। जिसमें अब्दुल मलिक समेत सात लोगों को नामजद कराया गया था। घटना के विरोध स्वरूप हल्द्वानी में कई दिनों तक बाजार बंद हुआ था। मामले में बरेली और हल्द्वानी पुलिस नामजद आरोपियों की धरपकड़ को संयुक्त रूप से दबिश दे रही थी, लेकिन सभी आरोपी भूमिगत हो गए थे।
रसूख से कराई थी सीबीसीआईडी जाँच
पुलिस का शिकंजा कसता देख अब्दुल मलिक ने सत्ता में ऊंची पहुंच के चलते मामले की जाँच पुलिस से सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करा दी थी। सीबीसीआईडी जाँच के आदेश के बाद अब्दुल मलिक और अन्य नामजद आरोपी भी हल्द्वानी आ गए।
उस वक्त नैनीताल के एसएसपी नासिर कमाल थे। घटना के कुछ दिनों बाद ही ईद थी। ईद पर नमाज के बाद ईदगाह में एसएसपी नासिर कमाल और अब्दुल मलिक का आमना सामना हो गया। नासिर कमाल को ये बहुत नागवार गुजरा और उन्होंने कार्रवाई करने की ठान ली।
तत्कालीन बनभूलपुरा चौकी इंचार्ज योगेश दीक्षित ( फाइल फोटो )
एसएसपी नासिर कमाल ईदगाह से लौटते ही अब्दुल मलिक को गिरफ्तार करने की रणनीति में जुट गए। रुऊफ मर्डर केस सीबीआईडी के पास जाने से उसमे गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। तब दूसरा रास्ता अपनाया और एक पुराने मामले गिरफ्तारी वारंट ले लिए गए । गिरफ्तारी की जिम्मेदारी सौपी गई बनभूलपुरा चौकी इंचार्ज योगेश दीक्षित को। लम्बी चौड़ी पर्सनालिटी वाले योगेश दीक्षित ईमानदार और कर्मठ थे।
फिल्मी अंदाज में पकड़ा था मलिक को
ईद के अगले दिन शाम को बनभूलपुरा चौकी इंचार्ज दलबल समेत अब्दुल मलिक के घर पहुंच गए। सीबीसीआईडी जाँच के आदेश के बाद अब्दुल मलिक बेफिक्र थे और लाइन नंबर आठ आजादनगर में अपने घर पर ही थे। योगेश दीक्षित ने गिरफ्तारी वारंट दिखाया तो वह अवाक रह गए।
इसके बाद योगेश दीक्षित अब्दुल मलिक को लेकर खुद ही जिप्सी से चल दिए। मलिक की गिरफ्तारी से गुस्साए लाइन नंबर आठ के ज्यादातर लोग सड़क पर आ गए। देखते ही देखते नारेबाजी, पथरबाजी होने लगी। सड़क पर ठेले, दुकानों की बेंच इत्यादि डाल कार अवरोध पैदा किया गया। लेकिन, दीक्षित इन सबसे जूझते हुए मलिक को लेकर कोतवाली पहुंच गए। उनकी जिप्सी बुरी तरह डैमेज हुई थी, उसमें पत्थर भर गए थे। घंटों बवाल हुआ, पत्थरबाजी, आगजनी हुई। तत्कालीन एसपी सिटी पुष्कर सैलाल समेत कई पुलिस वाले चोटिल हुए और कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे।
गवर्नर के साथ पहुंचा था लखनऊ
अब्दुल मलिक की सत्ता में ऊपर तक पकड़ रही है। उसी दौरान हरियाणा के सूरजभान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बनाए गए थे। मलिक की पहुंच का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सूरजभान जब पहली बार उत्तर प्रदेश आए तो वह (अब्दुल मलिक )उनके साथ हवाई जहाज में लखनऊ आए थे।
अमौसी हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री ने नए राज्यपाल कि अगवानी की थी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ अब्दुल मलिक की तस्वीर उस वक्त अख़बारों में प्रकाशित हुई थी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ हत्यारोपी कि तस्वीर को लेकर शासन प्रशासन में हड़कंप मैच गया। शासन ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए सीबीसीआईडी जाँच का आदेश निरस्त कर दिया।