देहरादून : द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ धाम के कपाट रविवार को भाई दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। सुबह धाम में पहले भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप दिया गया। इसके बाद सुबह 8:30 बजे विधि-विधान से कपाट बंद किए गए।
इस दौरान केदारनाथ धाम हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। धाम में 18644 श्रद्धालु इस पावन पल के साक्षी बने। कपाट बंद होने पर सेना की बैंड धुनों पर श्रद्धालु जमकर झूमते रहे। तड़के 4 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। सर्वप्रथम भगवान आशुतोष के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप दिया गया। इसके उपरांत विधि-विधान से कपाट बंद किए गए।
कपाट बंद होने के बाद सेना की बैंड धुनों के साथ बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली धाम से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना हो गई। बाबा केदार की डोली पहले रात्रि प्रवास पर रामपुर पहुंचेगी।
सोमवार को डोली गुप्तकाशी और मंगलवार को गुप्तकाशी से पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। जहां पर सभी धार्मिक मान्यताओं के निर्वहन के साथ बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली को छह माह की पूजा के लिए मंदिर में विराजमान किया जाएगा।