Day 13- Uttarkashi Tunnel collapsed Rescue update : उम्मीद में बीता 13 वां दिन. सरिया सामने आने से मशीन रुकी. श्रमिकों की आज की रात भी सुरंग में बीतेगी

देहरादून :शुक्रवार का दिन भी उम्मीद में ही बीत गया। 24 घंटे बाद शुरू हुआ ड्रिलिंग कार्य मशीन के सामने सरिया आ जाने से काम रुक गया। हालांकि विशेषज्ञों ने पाईप में घुसकर सरिए को काट दिया लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। आज की रात भी मजदूरों को सुरंग में ही बितानी पड़ेगी।

गुरुवार को ऑगर मशीन का बेस हिल जाने से ड्रिलिंग रुक गई थी। आज शाम साढ़े चार बजे 24 घंटे बाद ड्रिलिंग शुरू हुई। लेकिन कुछ देर बाद ही फिर से मलबे में पड़ा सरिया मशीन के सामने आ गया। जिससे रेस्क्यू कार्य को रोकना पड़ गया। लोहे का अवरोध आने से ऑगर मशीन लक्ष्य से नौ मीटर पहले रुक गई। अवरोधों को काटकर हटाने का काम तो शुरू कर दिया गया। बार-बार अवरोध आने से बचाव कार्य में देरी हो रही है।

इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि क्यों न फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। यदि ऐसा होता है तो मलबा हटाने में आसानी हो जाएगी।इस बार भूस्खलन के मलबे में 25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप ड्रिलिंग में बाधा बने हैं।ऑगर मशीन के आगे आई बाधाओं को हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। इसमें सात से आठ घंटे का समय लगता है। इन बाधाओं को एक टीम पाइप में घुसकर गैस कटर से काट रही है।

एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहा कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से ड्रिलिंग का कार्य प्रभावित हो रहा है। करीब 9-10 मीटर तक और ड्रिलिंग होना शेष है।

तेरहवां दिन भी श्रमिकों के सुरंग से बाहर आने की उम्मीदों के बीच ही गुजरा। मशीन बंद होने से श्रमिकों की आज की रात भी सुरंग में ही गुजरेगी। सुरंग में काम में जुटे लोगों ने बताया कि अच्छी बात है कि रेस्क्यू कार्य का आभास अंदर फंसे श्रमिकों को होने लगा है।

मशीन के सामने फंसे सरिये को कटर से काटने पर लोहे की गंध भी अंदर फंसे श्रमिकों ने महसूस की है। बाकी-टाकी के जरिए बातचीत में यह जानकारी उन्होंने दी है। श्रमिकों के कल बाहर आने की संभावना है। इधर केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर ही डेरा डाले हैं।

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