नैनीताल : उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता संबंधी जनहित याचिका को सुनते हुए अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया है। साथ ही पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी की प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियां सीज कर दी हैं।
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के इस अहम फैसले से नैनीताल में पालिका के कार्यों को लेकर पूर्व में लगाए गए आरोपों पर मुहर भी लग गई है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीयूष गर्ग के अनुसार न्यायालय में पिछले दिनों काशीपुर निवासी ठेकेदार कृष्णपाल ने तीन रिट याचिका दाखिल कर न्यायालय से कहा था कि उनकी निविदाओं को नन्दा देवी और दूर्गा पूजा महोत्सव से इरादतन बाहर किया गया।
आरोप था कि पालिका ने गलत नियत के साथ रमेश सिंह सजवाण को नियमों की अनदेखी कर ठेका दिया है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे स्वतः संज्ञान पीआईएल के रूप में ले लिया था।
पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पालिका में मनमानी और वित्तीय अनियमितता को देखते हुए दोनों जिम्मेदारों पर तल्ख टिप्पणी भी की थी। आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नैनीताल नगर पालिका में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता को देखते हुए जनहित याचिका में ईओ आलोक उनियाल को निलंबित कर दिया।
खंडपीठ ने पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को सीज करते हुए सरकार से नगर पालिका के अकाउंट्स की जांच करने को कहा है। साथ ही हाइकोर्ट के पूर्व जस्टिस इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर मामले की जांच करने के भी निर्देश जारी किए है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पालिका में हड़कंप मचा हुआ है। चर्चा यह भी है कि गठित कमेटी की जांच में कई अन्य मामले भी उजागर हो सकते है।