Crime: Registry of fraud and forged documents: NRI महिला की करोड़ो की भूमि का फर्जी दस्तावेजों से सौदा करने वाले अपराधी बेनकाब. मुख्य अभियुक्त समेत तीन गिरफ्तार

मुख्य अभियुक्त के खिलाफ पूर्व में दर्ज हैं भूमि में धोखाधड़ी व जालसाजी के मामले. विवादित तथा काफी समय से खाली पड़ी जमीनों पर रखता है नजर. NRI महिला की भूमि के कूटरचित दस्तावेज भी इसी ने बनवाए थे. इस केस के भी कूटरचित दस्तावेज मुजफ्फरनगर में ही बने थे. पकड़े गए दो आरोपी भी मुजफ्फरनगर के रहने वाले

देहरादून : कूटरचित दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्री करने वाले गिरोह ने इंग्लैंड निवासी NRI महिला की भूमि का भी सौदा किया था। इस मामले में तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के निर्देशन में एसआईटी केसों का खुलासा कर अपराधियों सीखचों के पीछे पहुंचाने में जुटी है। कूटरचित दस्तावेजों के जरिए भूमि की रजिस्ट्री करने वाले गिरोह के सरगना समेत 13 अभियुक्त पूर्व में गिरफ्तार हो चुके हैं। वे सभी जेल में बंद हैं।

एसआईटी ने छह अक्तूबर को बसंत विहार,देहरादून निवासी अजय मोहन पालीवाल को गिरफ्तार किया था। वह हस्त लेख विशेषज्ञ है,उसने फोरेंसिक साइंस में एमएससी कर रखी है। अजय मोहन पालीवाल भूमि के विलेख पत्र तैयार करता था। उससे पूछताछ में मिली जानकारी के बाद फर्जीवाड़े के एक केस का खुलासा हुआ।

एसआईटी के मुताबिक अजय मोहन पालीवाल ने कुंवरपाल सिंह उर्फ केपी (पूर्व में गिरफ्तार ) के कहने पर NRI महिला रक्षा सिन्हा की भूमि के कूटरचित विलेख पत्र तैयार किए थे। ये विलेख पत्र रामरतन शर्मा के नाम से बनाकर देहरादून निवासी ओमवीर व मुजफ्फरनगर निवासी सतीश व संजय को को दिए थे।

राजपुर रोड पर मधुबन होटल के सामने इंग्लैंड निवासी NRI महिला रक्षा सिन्हा की करीब दो ढाई बीघा भूमि है। जिसके कूटरचित दस्तावेजो भी रजिस्ट्रार कार्यालय में सम्बन्धित रजिस्टर में लगा दिए गए थे। सहायक महानिरीक्षक निबन्धन की जांच में इसका पता चला था। जिस पर उन्होंने नगर कोतवाली में षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी और जालसाजी करने का मुकदमा दर्ज कराया था।

इधर एसआईटी ने अजय मोहन पालीवाल के बयानों के आधार पर ओमवीर, सतीश व संजय को गिरफ्तार कर लिया। ओमवीर का पूर्व से ही जमीनो के फर्जीवाड़े का आपराधिक इतिहास रहा है तथा पूर्व में कई विवादित जमीनों में भी इसकी संलिप्तता रही है।

ओमवीर की जान पहचान केपी सिंह से थी, वह देहरादून में विवादित और खाली पड़ी जमीनों पर नजर रखता था। इस बीच ओमवीर की नजर राजपुर रोड मधुबन के पास स्थित दो-ढाई बीघा खाली जमीन पर पड़ी। फिर वह उसकी जानकारी करने में जुट गया।

पता चला कि उक्त जमीन विदेश में रहने वाली NRI महिला रक्षा सिन्हा के नाम पर है, जो काफी वर्षों से देहरादून नहीं आई है। रक्षा सिन्हा के पिता पीसी निश्चल देहरादून में ही रहते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है । ओमवीर ने जमीन बारे में केपी सिंह को बताया। केपी ने उक्त जमीन को उत्तराखण्ड के बाहर किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड विलेख पत्र के माध्यम से करा देने का आश्वासन दिया। ओमवीर को ही किसी बाहरी बुजुर्ग व्यक्ति को लाने की जिम्मेदारी दी गई।

ओमवीर ने अपने परिचित सतीश के माध्यम से उसके दोस्त संजय, जोकि मुजफ्फरनगर का रहने वाला है ,के बाद पिता रामरतन शर्मा का चयन किया। इसके बाद रामरतन शर्मा के नाम पर उक्त भूमि के फर्जी विलेख पत्र केपी सिंह के माध्यम से तैयार करवाए। उक्त भूमि को सन् 1979 में पीसी निश्चल से राम रतन के नाम क्रय-विक्रय करना दिखाया गया। बाद में इस कूटरचित विलेख पत्र को सोनू, जो रजिस्ट्रार कार्यालय में बाईन्डर का कार्य करता था, के माध्यम से रजिस्ट्रार कार्यालय में सम्बन्धित रजिस्टरों पर लगवा दिया।

इस सबके बाद ओमवीर ने उक्त प्रॉपर्टी को मार्केट में बिकने हेतु उतार दिया। कुछ दिनों बाद इन लोगों ने राम रतन शर्मा व इनके बेटे संजय शर्मा से मुजफ्फरनगर में मिलकर उक्त जमीन का सौदा ग्रीन अर्थ सोलर पावर लिमिटेड से 3 करोड़ 10 लाख में करा दिया। एग्रीमेन्ट के 1 करोड़ 90 लाख रूपये संजय ने लिए। जिसमें से पूर्व में तय अनुसार संजय को 66 लाख और ओमवीर को 96 लाख व सतीश को 38 लाख के करीब की धनराशि मिली। शेष रकम रजिस्ट्री के बाद देने की बात तय हुई थी। रजिस्ट्री के टाइम से पहले ही देहरादून में विभिन्न जमीनों के फर्जी विलेख तैयार करने सम्बन्धी मामला उजागर हो गया।

गिरफ्तार अभियुक्त

1- संजय कुमार शर्मा (48) पुत्र रामरतन शर्मा निवासी पंचेड़ा रोड निकट गोल्डन पब्लिक स्कूल थाना नई मंडी, मुज्जफरनगर उत्तर प्रदेश
2- ओमवीर तोमर (67) पुत्र स्व0 ओमप्रकाश निवासी B 220 सेक्टर 2, डिफेंस कॉलोनी देहरादून
3. सतीश कुमार पुत्र (60)स्व0 फूल सिंह निवासी 1728 जनकपुरी रुड़की रोड़ थाना सिविल लाइन, मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश

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