राधास्वामी सतसंग सभा निजी भूमि, संपत्ति इत्यादि दान स्वरूप स्वीकार नहीं करती: नैय्यर

राधास्वामी सतसंग सभा की समस्त भूमि एवं संपत्तियां विधिक तौर पर खरीदी गई, उन पर सभा का स्वामित्व. राधास्वामी सतसंग सभा आगरा पर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद

हरिद्वार : राधास्वामी सतसंग सभा कभी किसी से निजी भूमि, संपति इत्यादि दान स्वरूप स्वीकार नहीं करती है। सभा की समस्त भूमि एवं संपति खरीदी गई होती हैं, उन पर सभा का स्वामित्व होता है।

कुछ स्वार्थी तत्व राधास्वामी सतसंग सभा आगरा के बारे में भ्रामक बातें कर सभा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग आगरा पर सरकारी व अन्य निजी लोगों की भूमि पर कब्जा करने संबंधी सभी आरोप निराधार, भ्रामक, झूठे और तथ्यहीन हैं।

राधास्वामी सतसंग सभा ने समस्त भूमि एवं संपत्तियां विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए कानूनी तौर पर खरीदी हैं और उन पर सभा का एकमात्र स्वामित्व है। इन सभी संपत्तियों के समस्त विधि अभिलेख, दस्तावेजी प्रमाण सभा के पास सुरक्षित हैं।

राधास्वामी सतसंग सभा किसी की भी कोई निजी संपत्ति, भूमि इत्यादि दान स्वरूप कभी स्वीकार नहीं करती है। बहुत सारे अनुयायी एवं श्रद्धालु समय-समय पर अपनी संपत्ति, भूमि इत्यादि सभा को स्वत: दान देने की प्रार्थना करते हैं। परन्तु सभा उन सभी की प्रार्थना को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर देती है।

मीडिया प्रभारी एसके नैय्यर ने कहा कि राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग आगरा उच्चकोटि की एक उत्कृष्ट पावन धार्मिक संस्था है, जो प्राणी मात्र की सेवा, पर्यावरण संरक्षण एवं उत्तम जीवनशैली के लिए विश्वविख्यात है। जिसकी समय-समय पर विश्व प्रसिद्ध हस्तियों, विद्वानों, शिक्षाविद्, नेताओं एवं अन्य धार्मिक संस्थाओं ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। सभा के अनुयायी एवं प्रशासन शांति प्रिय लोग हैं, जो ‘फादरहुड आफ गॉड एंड ब्रदरहुड आफ मैन’ सिद्धांत में विश्वास करते हैं।

यह उनकी निस्वार्थ सेवा का ही परिणाम है कि वर्तमान में आगरा शहर के बाकी क्षेत्र के बदतर पर्यावरण स्थिति के सापेक्ष दयालबाग क्षेत्र को इसके स्वच्छ और प्रदूषण रहित वातावरण के कारण ‘आगरा के फेफड़ों ‘ की संज्ञा दी जाती है।
यही वजह है कि आम नागरिक, खिलाड़ी, बच्चे और बुजुर्ग प्रतिदिन सुबह इस स्वच्छ और प्रदूषण रहित वातावरण में खुली हवा और बेहतरीन वातावरण में तरोताजा होने को सैर के लिए यहां आते हैं।

ऐसा इसलिए संभव हो पाया हो पा रहा है क्योंकि राधास्वामी सतसंग सभा ने अपनी कृषि भूमि का कभी बेजा और व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं किया। उनके स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं किया, वहां कंक्रीट के जंगल को नहीं उगाया।

, राधास्वामी सतसंग सभा यह प्रयास और विचार कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। दयालबाग का शान्त एवं स्वच्छ वातावरण सदैव से ही भूमाफियाओं एवं बिल्डरों को आकर्षित करता रहा है। अपने आर्थिक लाभ को वह यहां पर कंक्रीट का जंगल उगा यहां के वातावरण को प्रदूषित और दूषित करना चाहते हैं। लेकिन, ऐसे तत्वों के मंसूबे कामयाब नहीं हो सकेंगे।